जिज्ञासा
हमारा सारा ज्ञान एवं सारी योग्यताएं जिज्ञासा के बिना व्यर्थ हैं--रबींद्रनाथ टैगोर
Tuesday, September 4, 2012
श्रीमदभगवद्गीता (२.३८)
सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ॥
- श्रीमदभगवद्गीता (२.३८)
अर्थ : जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दुखको समान समझकर, उसके पश्चात युद्धके लिए तैयार हो जा, इस प्रकार युद्ध करनेसे तू पापको नहीं प्राप्त होगा.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment