Tuesday, September 4, 2012

श्रीमदभगवद्गीता (२.३८)

सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ॥
- श्रीमदभगवद्गीता (२.३८)

अर्थ : जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दुखको समान समझकर, उसके पश्चात युद्धके लिए तैयार हो जा, इस प्रकार युद्ध करनेसे तू पापको नहीं प्राप्त होगा.

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