जिज्ञासा
हमारा सारा ज्ञान एवं सारी योग्यताएं जिज्ञासा के बिना व्यर्थ हैं--रबींद्रनाथ टैगोर
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Monday, September 24, 2012
भारतेन्दु हरिश्चंद्र
भारतेन्दु जी विविध भाषाओं में रचनायें करते थे, ब्रजभाषा पर इनका असाधारण अधिकार था। प्रेम माधुरी इनकी सर्वोत्कृष्ट रचना है।
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