Wednesday, February 27, 2013

इकनॉमिक सर्वे

संसद में इकनॉमिक सर्वे पेश हो गया. अगले साल सरकार को मंदी खत्म होने के साथ अर्थव्यवस्था में मजबूती लौटने की उम्मीद है।सर्वे में मंदी खत्म होने के साथ महंगाई दर में गिरावट की उम्मीद जताई गई है। सर्वे में कहा गया है कि महंगाई दर में गिरावट की वजह से ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।सर्वे में फाइनैंशल इयर 2014 में जीडीपी दर 6.1-6.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। मार्च महीने में महंगाई दर घटकर 6.2-6.6 फीसदी रहने की उम्मीद है।सर्वे में कहा गया है कि रेल मालभाड़ा 2012-13 में 5.1 फीसदी बढ़ा है।

Wednesday, February 13, 2013

रूस का प्रोग्रेस एम-18एम मालवाहक अंतरिक्ष यान

रूस का प्रोग्रेस एम-18एम मालवाहक अंतरिक्ष यान अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) पहुंच गया।प्रोग्रेस एम-18एम कजाकिस्तान के बैकानूर से छोड़ा गया था। यह अंतरिक्ष यान पानी, भोजन, व्यक्तिगत साफ-सफाई के सामान, चिकित्सकीय एवं फोटो उपकरण, रूसी झंडे और आईएसएस के सदस्यों के लिए उपहार लेकर गया हुआ है। 1972 से अबतक 130 से अधिक प्रक्षेपणों का रिकार्ड बना चुके प्रोग्रेस श्रेणी के मालवाहक यान रूसी अंतरिक्ष कार्गो बेड़े की रीढ़ बने हुए हैं. प्रोग्रेस मालवाहक अंतरिक्ष यान, उपकरण के अतिरिक्त 2,500 किलोग्राम की आपूर्ति ढोने की क्षमता रखते हैं।

दस करोड़ वर्ष से भी पहले गोंडवाना विखंडन के दौरान भारतीय क्षेत्र का कुछ हिस्सा ऑस्ट्रेलियाई प्लेट की तरफ चला गया जिससे हिंद महासागर का वर्तमान क्षेत्र और रूप सामने आया...

दस करोड़ वर्ष से भी पहले गोंडवाना विखंडन के दौरान भारतीय क्षेत्र का कुछ हिस्सा ऑस्ट्रेलियाई प्लेट की तरफ चला गया जिससे हिंद महासागर का वर्तमान क्षेत्र और रूप सामने आया।ऑस्ट्रेलिया की वैज्ञानिक एना गिब्सन ने भारतीय राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर किए शोध में पाया कि उपमहाद्वीप में विखंडन के बाद भारतीय क्षेत्र का कुछ हिस्सा ऑस्ट्रेलियाई प्लेट की तरफ चला गया । तस्मानिया के बराबर का क्षेत्रफल ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट से करीब 500 से 1000 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल में डूबा रहा।

Friday, February 8, 2013

इस समय बाघों की संख्या 1706 है...

इस समय बाघों की संख्या 1706 है, जो वर्ष 2008 की संख्या के मुकाबले 295 अधिक है। उस समय बाघों की संख्या 1411 थी।वर्ष 2012 के पहले नौ महीनों में भारत में 252 तेंदुए की मौत हुई, जो भारतीय वन्य जीव संरक्षण सोसायटी के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1994 से यह संख्या सबसे अधिक है। आयोग ने 12वीं योजना में बाघ संरक्षण के लिए 5889 करोड़ रुपए का आवंटन किया है जबकि 11वीं योजना में यह राशि मात्र 651 करोड़ रुपए थी।

राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम

स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय की ओर से राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम की शुरूआत की गई है, जिसके माध्‍यम से अधिकतम 18 वर्ष तक की उम्र के बच्‍चों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के एक पैकेज का प्रावधान किया गया है। यह पहल राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन का एक हिस्‍सा है. महाराष्‍ट्र के ठाणे जिले के जनजातीय बहुल ब्‍लॉक पालघर में 06 फरवरी को शुरू किया गया. लक्ष्‍य बच्‍चों की मुख्‍य बीमारियों का शीघ्र पता लगाना और उसका निदान करना है। इन बीमारियों में जन्‍मजात विकृतियों, बाल रोग, कमियों के लक्षणों और विकलांगताओं सहित विकास संबंधी देरी शामिल हैं।

खाद्यान्‍न उत्‍पादन

भारत में वर्ष 2012-13 में 250.14 मिलियन टन खाद्यान्‍न उत्‍पादन (खरीफ 2012 और वर्तमान में रबी फसलों समेत) होने की उम्‍मीद है। पिछले वर्ष अनुकूल मॉनसून की वजह से रिकॉर्ड खाद्यान्‍न उत्‍पादन हुआ था। वर्तमान वर्ष (2012-13) में मॉनसून के दौरान देश के अनेक भागों में कम और देर से बारिश होने के बावजूद अनुमानित उत्‍पादन पिछले वर्ष से पहले किसी समय में हुए खाद्यान्‍न उत्‍पादन से काफी अधिक है।

एक बार भगवान बुद्ध ने अपने भिक्षुओं को उपदेश देते हुए कहा कि भिक्षा पात्र में जो कुछ प्राप्त हो जाए, वही ग्रहण कर लेना चाहिए...

एक बार भगवान बुद्ध ने अपने भिक्षुओं को उपदेश देते हुए कहा कि भिक्षा पात्र में जो कुछ प्राप्त हो जाए, वही ग्रहण कर लेना चाहिए। दैवयोग से एक दिन एक भिक्षु के पात्र में चील ने एक मांस का टुकड़ा डाल दिया। इस पर भिक्षु ने भगवान बुद्ध से पूछा, तो भगवान बुद्ध ने सामान्य भाव से कह दिया कि इसे ग्रहण कर लीजिए। परंतु इस का परिणाम भविष्य में यह हुआ कि लोग भगवान बुद्ध के उस वाक्य को पकड़कर मांसाहार करने लगे

अशोक के शिलालेख


अशोक के १४ शिलालेख विभिन्‍न लेखों का समूह है जो आठ स्थानों से प्राप्त किए गये हैं-

(१) धौली- यह उड़ीसा के पुरी जिला में है ।

(२) शाहबाज गढ़ी- यह पाकिस्तान (पेशावर) में है ।

(३) मान सेहरा- यह हजारा जिले में स्थित है ।

(४) कालपी- यह वर्तमान उतराखंड (देहरादून) में है ।

(५) जौगढ़- यह उड़ीसा के जौगढ़ में स्थित है ।

(६) सोपरा- यह महराष्ट्र के थाणे जिले में है ।

(७) एरागुडि- यह आन्ध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित है ।

(८) गिरनार- यह काठियावाड़ (गुजरात ) में जूनागढ़ के पास है ।

अशोक के लघु स्तम्भ लेख


सम्राट अशोक की राजकीय घोषणाएँ जिन स्तम्भों पर उत्कीर्ण हैं उन्हें लघु स्तम्भ लेख कहा जाता है जो निम्न स्थानों पर स्थित हैं-

१. सांची- मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में है ।

२. सारनाथ- उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में है ।

३. रूभ्मिनदेई- नेपाल के तराई में है ।

४. कौशाम्बी- इलाहाबाद के निकट है ।

५. निग्लीवा- नेपाल के तराई में है ।

६. ब्रह्मगिरि- यह मैसूर के चिबल दुर्ग में स्थित है ।

७. सिद्धपुर- यह ब्रह्मगिरि से एक मील उ. पू. में स्थित है ।

८. जतिंग रामेश्‍वर- जो ब्रह्मगिरि से तीन मील उ. पू. में स्थित है ।

९. एरागुडि- यह आन्ध्र प्रदेश के कूर्नुल जिले में स्थित है ।

१०. गोविमठ- यह मैसूर के कोपवाय नामक स्थान के निकट है ।

११. पालकिगुण्क- यह गोविमठ की चार मील की दूरी पर है ।

१२. राजूल मंडागिरि- यह आन्ध्र प्रदेश के कूर्नुल जिले में स्थित है ।

१३. अहरौरा- यह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है ।

१४. सारो-मारो- यह मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित है ।

१५. नेतुर- यह मैसूर जिले में स्थित है ।

समुद्रगुप्त

समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है । वह अपनी जिंदगी में कभी भी पराजित नही हुआ । उसका विजय अभियान भारत के हर क्षेत्र में कामयाब रहा । प्रथम आर्यावर्त के युद्ध में उसने तीन राजाओं को हराकर अपने विजय अभियान की शुरुआत की । इसके बाद दक्षिणापथ के युद्ध में दक्षिण के बारह राजाओं को पराजित कर उन्हें अभयदान दिया । यह उसकी दूरदर्शी निति का ही परिणाम था ,वह दक्षिण के भौगोलिक परिस्थितियों को भलीभांति समझता था । आर्यावर्त के द्वितीय युद्ध में उसने नौ राजाओं को हरा कर उन्हें अपने साम्राज्य में मिला लिया । बाद में उसने सीमावर्ती राजाओं और कई विदेशी शक्तियों को भी पराजित कर अपनी शक्ति का लोहा मानने पर मज़बूर कर दिया। समुद्रगुप्त ही गुप्त वंश का वास्तविक निर्माता था । उसका प्रधान सचिव हरिसेन ने प्रयाग प्रशस्ति की रचना की जिसमे समुद्रगुप्त के विजयों के बारें में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है । समुद्रगुप्त ने अश्वमेघ यज्ञ भी करवाया । वह वीणा बजाने में भी कुशल था । उसके दरबार में बुधघोष जैसे विद्वान् आश्रय पाते थे ।

Wednesday, February 6, 2013

एकीकृत डेयरी विकास कार्यक्रम

1993-94 में शत-प्रतिशत अनुदान के आधार पर एकीकृत डेयरी विकास कार्यक्रम (आईडीडीपी) नाम से एक नई योजना शुरू की गई। यह योजना उन क्षेत्रों में विशेष रूप से लागू की गई जो, आपरेशन पऊलड में आने से छूट गए थे। इसके साथ ही पहाड़ी और पिछड़े क्षेत्रों में भी इसको अमल में लाया गया। योजना के मुख्य उद्देश्य थे- दुधारू मवेशियों का विकास, तकनीकी सहायता उपलब्ध कराकर दुग्ध उत्पादन में वृध्दि, दूध की सरकारी खरीद और किफायती ढंग से उसका प्रसंस्करण और विपणन, दुग्ध् उत्पादक को उचित मूल्य दिलाना.

विश्व के दुग्ध उत्पादक देशों में भारत का पहला स्थान है...

विश्व के दुग्ध उत्पादक देशों में भारत का पहला स्थान है।वर्ष 2007-08 के दौरान भारत में प्रति दिन दूध की खपत 252 ग्राम थी। पिछले तीन दशकों में योजना के अंत तक दुग्ध उत्पादन की विकास दर करीब 4 प्रतिशत थी जबकि भारत की जनसंख्या की वृध्दि दर लगभग 2 प्रतिशत थी। दुग्ध उत्पादन में वृध्दि के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई अनेक योजनाओं के फलस्वरूप यह संभव हो सका है। वर्ष 1950-51 में कुल 1 करोड़ 70 लाख टन दूध का उत्पादन होता था जो कि 2007-08 तक 6 गुने से भी अधिक बढक़र 10 करोड़ 48 लाख टन पहुंच गया।राष्ट्रीय मवेशी और भैंस प्रजनन परियोजना पांच -पांच वर्ष के दो चरणों में, दस वर्ष के लिए अक्तूबर 2000 में शुरू की गई थी। इस परियोजना के तहत महत्त्वपूर्ण देसी प्रजातियों के विकास और संरक्षण पर केन्द्रित जननिक उन्नयन को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

बिहार के नालंदा जिले में कतरीसराय प्रखंड के देशपुरवा गांव के किसानों ने आलू उत्पादन का विश्व कीर्तिमान बनाया...

नालंदा के देशपुरवा गांव के किसानों ने जैविक खेती के माध्यम से प्रति हेक्टेयर 729 क्विंटल आलू पैदा किया. वैज्ञानिकों का कहना है कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इतना उत्पादन कहीं भी दर्ज नहीं किया गया.

केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में निर्यात के क्षेत्र में 20 फीसद वृद्धि का लक्ष्य तय किया है..

केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में निर्यात के क्षेत्र में 20 फीसद वृद्धि का लक्ष्य तय किया है। इससे वर्ष 2013-14 तक 500 अरब डॉलर निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।विदेशी व्यापार नीति 2009-14 की सालाना पूरक घोषणा में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने श्रम साध्य कारोबारी क्षेत्रों के लिए ब्याज दरों में छूट की योजना की समय सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च 2013 तक करने की घोषणा की है। पिछले साल लागू इस योजना के तहत हस्तकरघा, हस्तश्लि्प, कालीन,लघु व मध्यम वर्ग के उद्यमों में दो फीसदी कर छूट मिलती है।भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने कहा कि इन सभी कदमों से भारत का निर्यात निश्चित रूप से बढ़ेगा और 2013-14 तक 500 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।

भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 291 ग्राम है...

भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 291 ग्राम है जबकि विकसित देशों में 500 ग्राम है, बढ़ती जनसंख्या के साथ देश को अगले आठ वर्ष में दूध का उत्पादन 80 मिलियन टन बढ़ाना होगा। भारत सरकार ने इसके लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को नेशनल डेयरी योजना सौंपी है जिसके तहत जानवरों की नस्ल सुधार के साथ दूध के उत्पादन को बढ़ाया जाएगा, देश के 40 हजार गांवों के 27 लाख किसानों को इससे जोड़ा जाएगा। केंद्र ने इस योजना के लिए अब तक 131 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। इसके तहत गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उडीसा, कर्नाटक, राजस्थान, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में दूध देने वाले जानवरों की नस्ल सुधार, वीर्य स्टेशन के सुद्रढीकरण, संतुलित आहार व घास चारा कार्यक्रम चलाए जाएंगे। देश में वर्तमान में 127 मिलियन टन दूध का उत्पादन हो रहा है, 2016-17 में 155 मिलियन टन तथा वर्ष 2021-22 में 210 मिलियन टन दूध की जरूरत होगी जिसके लिए अभी से दूध के उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।

एनडीडीबी ने विश्व बैंक के सहयोग से चल रही राष्ट्रीय डेयरी योजना उत्तर प्रदेश सहित आठ राज्यों में शुरू करने की घोषणा की है...

एनडीडीबी ने विश्व बैंक के सहयोग से चल रही राष्ट्रीय डेयरी योजना उत्तर प्रदेश सहित आठ राज्यों में शुरू करने की घोषणा की है। इस योजना के तहत सभी राज्यों में दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ाकर दूध उत्पादन बढ़ाने के वैज्ञानिक उपाय किए जाएंगे। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड [एनडीडीबी] की अध्यक्ष डॉ. अमृत पटेल ने इस योजना की प्रगति का ब्योरा देते हुए कहा है कि देश के 14 प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्यों में से 13 को इसमें शामिल कर लिया गया है। बिहार के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है। पहले चरण में आठ राज्यों में परियोजना संचालन समिति 49 प्रस्तावों का अनुमोदन कर चुकी है। ये राज्य हैं-उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र।योजना के तहत पशुओं के संतान परीक्षण, वंशावली चयन, वीर्य स्टेशनों का सुदृढ़ीकरण, संतुलित राशन कार्यक्रम, चारा विकास के प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया है।

स्टैंडर्ड एकाउंट

अगर देनदार समय पर लोन का रीपेमेंट करता रहता है, तो उसका लोन अकाउंट स्टैंडर्ड माना जाता है। बैंकों की वित्तीय सुरक्षा को देखते हुए बैंकिंग रेग्युलेटर आरबीआई के बनाए नियमों के मुताबिक बैंकों को स्टैंडर्ड लोन के लिए भी प्रविजन करना पड़ता है।

नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए)

जब कोई देनदार अपने बैंक को EMI देने में नाकाम रहता है, तब उसका लोन अकाउंट नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) कहलाता है। नियमों के हिसाब से जब किसी लोन की ईएमआई, प्रिंसिपल या इंटरेस्ट ड्यू डेट के 90 दिन के भीतर नहीं आती है तो उसे एनपीए में डाल दिया जाता है। जब किसी लोन से बैंक को रिटर्न मिलना बंद हो जाता है तब वह उसके लिए एनपीए या बैड लोन हो जाता है।

लोकपाल विधेयक-लोकायुक्त का मामला राज्यों की मर्जी पर छोड़ दिया गया है...

राजनीतिक दलों को लोकपाल की जांच से बाहर रखा गया है, पर सरकारी अनुदान और विदेशी सहायता पाने वाली संस्थाओं को नहीं। ऐसी संस्थाओं पर नजर रखने और उन्हें जवाबदेह बनाने का उपाय जरूर किया जाना चाहिए.एक बड़ा मुद्दा सीबीआइ को सरकारी नियंत्रण से हटा कर लोकपाल के तहत लाने का रहा है। पर इस आम भावना की कद्र नहीं की गई। लोकायुक्त का मामला राज्यों की मर्जी पर छोड़ दिया गया है.

लोकपाल विधेयक

सीबीआइ के निदेशक की नियुक्ति सरकार नहीं बल्कि एक कोलेजियम यानी समिति करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश शामिल होंगे। इनके अलावा समिति में एक विधिवेत्ता को भी जगह मिलेगी, जिसका चयन राष्ट्रपति समिति के बाकी सदस्यों की सिफारिश पर करेंगे। लोकपाल के पास सीबीआइ को जांच का निर्देश देने के अलावा अभियोजन का भी अधिकार होगा; इसके लिए सीबीआइ के तहत एक अभियोजन शाखा गठित की जाएगी, जिसके निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की सलाह पर होगी।

राष्ट्रीय डेयरी योजना

डेयरी विकास के लिए नई केन्द्रीय योजना के पहले चरण में शीघ्र ही राजस्थान सहित तीन और राज्य जुड़ जाएंगे। चालू वित्त वर्ष में 130.71 करोड़ रुपये के खर्च के साथ 13 राज्यों में इस योजना की शुरुआत पहले ही हो चुकी है। विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित एक केन्द्रीय योजना, राष्ट्रीय डेयरी योजना को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के द्वारा लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत 13 प्रमुख डेयरी उत्पादन करने वाले राज्यों में काम शुरू कर दिया गया है।

एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवाक्स)

सरकार ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को आधुनिक एवं स्वदेशी तकनीक पर आधारित एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवाक्स) को विकसित करने की मंजूरी प्रदान कर दी है। इस प्रणाली से भारतीय वायुसेना को दुश्मन के क्षेत्र में भीतर तक नजर रखने में मदद मिलेगी।भारत के पास पहले से ही तीन अवाक्स विमानों का बेड़ा है जिसकी आपूर्ति इस्राइल से की गई थी। इसे रूस से हासिल किए गए इल्युशिन 76 विमानों पर लगाया गया है। आधुनिक एवं स्वदेशी अवाक्स के विकास के लिए डीआरडीओ आईएल 76 के आकार के वैकल्पिक विमानों की तलाश करेगा जिन पर इस अवाक्स प्रणाली को लगाया जाएगा।डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल (एईडब्ल्यूऐंडसी) विमान तथा प्रस्तावित अवाक्स के बीच अंतर के संबंध में सूत्रों ने बताया कि अवाक्स रडार 360 डिग्री का कवरेज देता है जबकि एईडब्ल्यूऐंडसी 270 डिग्री का ही कवरेज उपलब्ध कराता है।

गोल्डन म्यूज

पाबलो पिकासो की ‘गोल्डन म्यूज’ पेंटिंग एक नीलामी में 2.85 करोड़ पाडंड में बिकी। 1932 की यह पेंटिंग लंदन में हो रही नीलामी में सबसे पहले नीलाम हुई। इसमें एक महिला को खिड़की से ताकते हुए दिखाया गया है।

दोहा में यूएनएफसीसीसी का रुख कमजोर हुआ...

जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए वर्ष 1992 में यूएनएफसीसीसी द्वारा आरंभ की गई प्रक्रिया दोहा आकर खत्म हो गई। यह मानव अस्तित्व पर मंडराते खतरे से निपटने का एक सहयोगपूर्ण और बहुस्तरीय प्रयास है जो पूरी तरह कानून सम्मत है। दोहा में यूएनएफसीसीसी का रुख कमजोर हुआ है.वर्ष 2009 में कोपेनहेगन जलवायु सम्मेलन के वक्त से ही और उसके बाद कानकुन, डरबन और अब दोहा में सीओपी बैठक में भी यही बात सामने आई है कि कुछ अहम मसलों पर विकासशील देशों के साथ काम करना एक कभी न खत्म होने वाली लंबी प्रक्रिया सरीखा है।

दोहा जलवायु की राह

दोहा में 26 नवंबर से 8 दिसंबर के बीच यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) यानी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संधि के मसौदे पर सभी पक्षों (सीओपी) का 18वां सम्मेलन हुआ। इसमें 8 फैसलों के एक दस्तावेज पर मुहर लगाई गई जिसे कतर के आयोजकों ने दोहा क्लाइमेट गेटवे यानी दोहा जलवायु की राह का नाम दिया। ये फैसले बाली योजना पर दोतरफा संवाद के निष्कर्ष के आलोक में हुए जिन्हें वर्ष 2007 में सीओपी-15 ने अनिवार्य बनाया था और जिसे जलवायु परिवर्तन पर एक गंभीर खतरे से निपटने के लिए बनाया गया था। जलवायु परिवर्तन पर अंतरशासकीय पैनल (आईपीसीसी) ने सिफारिश की है कि वर्ष 2020 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 1990 की तुलना में 25 से 40 फीसदी की कटौती की जाए ताकि इस शताब्दी के मध्य तक पृथ्वी के तापमान में 2डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने से रोका जा सके।क्योटो प्रोटोकॉल की मियाद वर्ष 2020 तक ही है और उसके बाद नया समझौता अमल में आएगा। हालांकि अभी तक जो भी शपथ ली गई हैं, यदि उस पर ही पूरी तरह अमल किया जाए तो भी वर्ष 2020 तक 1990 की तुलना में उत्सर्जन में केवल 18 फीसदी की कमी आती। इस बीच अमेरिका क्योटो प्रोटोकॉल से बाहर ही रहा जबकि कनाडा और जापान ने दूसरी प्रतिबद्घता अवधि के लिए लक्ष्य का ऐलान करने से इनकार कर दिया।

दोहा में क्योतो प्रोटोकॉल की अवधि बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसके मुताबिक 2020 तक धनी देशों में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नियंत्रित किया जाएगा...

विकसित देश उत्सर्जन-कटौती में बराबरी का हक चाहते हैं, जो विकासशील देशों को मंजूर नहीं है। जी-77 समूह के देशों का मानना है कि विकसित देशों पर पहले किए गए वादों को पूरा करने के लिए दबाव डाला जाना चाहिए, जिसके प्रति वे उदासीन नजर आते हैं। दोहा में क्योतो प्रोटोकॉल की अवधि बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसके मुताबिक 2020 तक धनी देशों में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नियंत्रित किया जाएगा। करीब दो सौ देशों ने क्योतो प्रोटोकॉल को अगले आठ साल तक कायम रखने पर सहमति जताई। लेकिन यह समझौता सिर्फ विकसित देशों पर लागू होगा, जो दुनिया के कुल ग्रीनहाउस गैसों का पंद्रह प्रतिशत उत्सर्जन करते हैं।

यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन आॅन क्लाइमेट चेंज

1992 में ‘यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन आॅन क्लाइमेट चेंज’ बना था और तभी से जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर चर्चा शुरू हुई। पर बीस साल का समय अब खत्म होने के कगार पर है। इस दौरान जलवायु संकट से निपटने के लिए दोहा वार्ता को लेकर अब तक अठारह बैठकें चलीं। लेकिन अभी तक इन खतरों से निपटने के लिए किसी ठोस रणनीति पर क्रियान्वयन शुरू नहीं हो पाया है। विश्व मौसम संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, 1990 से 2011 के बीच कॉर्बन डाइ आॅक्साइड और तापमान में बढ़ोतरी करने और वातावरण में लंबे समय तक रहने वाली दूसरी गैसों की वजह से जलवायु की उष्णता में तीस फीसद इजाफा हुआ है।

चीन विश्व में ग्रीनहाउस गैसों का सर्वाधिक उत्सर्जन करने वाला देश बन गया है...

करीब 200 देशों ने क्योतो प्रोटोकॉल को अगले आठ साल तक कायम रखने पर सहमति जताई। लेकिन यह समझौता कुछ ही देशों पर लागू होगा, जो दुनिया की कुल ग्रीनहाउस गैसों का 15 प्रतिशत उत्सर्जन करते हैं। यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और आठ अन्य औद्योगिक राष्ट्रों ने 2020 तक उत्सर्जन कटौती के बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष अब्दुल्ला बिन हमद अल अतिया ने इस समझौते को 'दोहा क्लाइमेट गेटवे' बताया।2015 में क्योटो प्रोटोकॉल की जगह एक अन्य समझौते पर सहमति बने जो दुनिया के सभी देशों पर लागू हो।1997 में अस्तित्व में आए क्योटो प्रोटोकॉल के मुताबिक 2012 तक विकसित देशों को कार्बन उत्सर्जन में 1990 के स्तर से पांच फीसदी तक की कटौती करनी थी।

1992 में युनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज बना था...

1992 में युनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज बना था और तभी से जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर चर्चा शुरू हुई।जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के मुद्दे पर कतर की राजधानी दोहा में आयोजित वार्ता सम्मेलन समाप्त हो चुका है। यह 18 वां मौका था जब दुनिया भर के देश कार्बन उत्सर्जन पर चर्चा के लिए जुटे थे. दोहा में क्योतो प्रोटोकॉल की अवधि बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसके माध्यम से 2020 तक कुछेक धनी देशों में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित किया जाएगा।करीब 200 देशों ने क्योतो प्रोटोकॉल को अगले आठ साल तक कायम रखने पर सहमति जताई। लेकिन यह समझौता कुछ ही देशों पर लागू होगा, जो दुनिया की कुल ग्रीनहाउस गैसों का 15 प्रतिशत उत्सर्जन करते हैं।

2050 में जब दुनिया की जनसंख्या साढ़े नौ अरब हो जाएगी तब उसका पेट भरने के लिए अभी के दोगुने खाद्य उत्पादन की जरूरत पड़ेगी...

लाइनस का कहना है कि 2050 में जब दुनिया की जनसंख्या साढ़े नौ अरब हो जाएगी तब उसका पेट भरने के लिए अभी के दोगुने खाद्य उत्पादन की जरूरत पड़ेगी। यह काम कम उपज वाली ऑर्गैनिक फसलों के जरिये करना हो तो बड़ी मात्रा में जंगलात और घास वाली जमीनों को साफ करके उन्हें खेती के काम में लाना पड़ेगा। नोबेल पुरस्कार विजेता नॉर्मन बोरलॉग के नेतृत्व में आधुनिक वैज्ञानिकों ने यह दिखाया कि गेहूं के जींस में फेरबदल करके तैयार की गई हाई-यील्डिंग किस्मों में अधिक खाद का इस्तेमाल करके दोगुनी से भी ज्यादा उपज हासिल की जा सकती है।

2020 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में आईसीटी सेक्टर की हिस्सेदारी दोगुनी हो जाने की उम्मीद है...

इंटरनेट और इन्फर्मेशन कम्यूनिकेशन ऐंड टेक्नॉलजी इंडस्ट्री सालाना 83 करोड़ टन कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। यह उत्सर्जन 2020 दोगुना हो जाने की उम्मीद है।सेंटर फॉर एनर्जी-एफिशिएंट टेलिकम्यूनिकेशंस (सीईईटी) ऐंड बेल लैब्स के शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्लोबल कार्बन उत्सर्जन का दो फीसदी हिस्सा आईसीटी इंडस्ट्री से आता है। एविएशन इंडस्ट्री भी दो फीसदी कार्बन उत्सर्जन करती है।

Sunday, February 3, 2013

THE MILKY WAY


              THE MILKY WAY

(Campaign For Social Development)


    *    Actions speak louder than words

    *    Where the vision is one year
                             cultivate flowers
           Where the vision is ten years
                                cultivate trees
            Where the vision is eternity
                              cultivate peopl