Wednesday, February 6, 2013
दोहा जलवायु की राह
दोहा में 26 नवंबर से 8 दिसंबर के बीच यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) यानी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संधि के मसौदे पर सभी पक्षों (सीओपी) का 18वां सम्मेलन हुआ। इसमें 8 फैसलों के एक दस्तावेज पर मुहर लगाई गई जिसे कतर के आयोजकों ने दोहा क्लाइमेट गेटवे यानी दोहा जलवायु की राह का नाम दिया। ये फैसले बाली योजना पर दोतरफा संवाद के निष्कर्ष के आलोक में हुए जिन्हें वर्ष 2007 में सीओपी-15 ने अनिवार्य बनाया था और जिसे जलवायु परिवर्तन पर एक गंभीर खतरे से निपटने के लिए बनाया गया था। जलवायु परिवर्तन पर अंतरशासकीय पैनल (आईपीसीसी) ने सिफारिश की है कि वर्ष 2020 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 1990 की तुलना में 25 से 40 फीसदी की कटौती की जाए ताकि इस शताब्दी के मध्य तक पृथ्वी के तापमान में 2डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने से रोका जा सके।क्योटो प्रोटोकॉल की मियाद वर्ष 2020 तक ही है और उसके बाद नया समझौता अमल में आएगा। हालांकि अभी तक जो भी शपथ ली गई हैं, यदि उस पर ही पूरी तरह अमल किया जाए तो भी वर्ष 2020 तक 1990 की तुलना में उत्सर्जन में केवल 18 फीसदी की कमी आती। इस बीच अमेरिका क्योटो प्रोटोकॉल से बाहर ही रहा जबकि कनाडा और जापान ने दूसरी प्रतिबद्घता अवधि के लिए लक्ष्य का ऐलान करने से इनकार कर दिया।
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जलवायु परिवर्तन
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