राजनीतिक दलों को लोकपाल की जांच से बाहर रखा गया है, पर सरकारी अनुदान और विदेशी सहायता पाने वाली संस्थाओं को नहीं। ऐसी संस्थाओं पर नजर रखने और उन्हें जवाबदेह बनाने का उपाय जरूर किया जाना चाहिए.एक बड़ा मुद्दा सीबीआइ को सरकारी नियंत्रण से हटा कर लोकपाल के तहत लाने का रहा है। पर इस आम भावना की कद्र नहीं की गई। लोकायुक्त का मामला राज्यों की मर्जी पर छोड़ दिया गया है.
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