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Monday, October 22, 2012
लोकसभा और राज्यसभा
लोक सभा का कार्यकाल केवल 5 वर्ष है जबकि राज्यसभा एक स्थायी निकाय है।लोक सभा के सदस्यों को सीधे पात्र मतदाताओं द्वारा निर्वाचित किया जाता है। राज्य सभा के सदस्यों को एकल अंतरणीय मत के माध्यम से आनुपारित प्रतिनिधित्व की प्रणाली के अनुसार राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाता है।लोक सभा वह सदन है जिसके प्रति मंत्रिपरिषद संविधान के अंतर्गत उत्तरदायी है। धन विधेयक को केवल लोकसभा में पुन: स्थापित किया जा सकता है।राज्य सभा के पास यह घोषित करने के लिए विशेष शक्तियां है कि राष्ट्रीयहित में यह आवश्यक तथा समयोचित है कि संसद राज्य सूची में किसी मामले के संबंध में कानून बनाए अथवा कानून द्वारा एक या अधिक अखिल भारत सेवाओं का सृजन करे जो संघ तथा राज्यों के लिए एक समान हो।
लोकसभा
हिन्दी नाम लोकसभा को 14 मई 1954 को अपनाया गया। लोकसभा का संघटन सार्वभौम वयस्क मताधिक के आधार पर प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों से किया जाता है। संविधान में व्यवस्था है कि सदन की अधिकतम सदस्य संख्या 552 होगी – 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे, 20 सदस्य संघशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करेंगे तथा 2 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इण्डियन समुदाय से नामित किया जाएगा। वर्तमान में सदन की सदस्य संख्या 545 है। लोकसभा का कार्य काल इसकी प्रथम बैठक के लिए नियुक्त तिथि से पांच वर्ष है।
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