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Thursday, October 18, 2012

भारत में भूमि पर दबाव के बावजूद 6 सौ संरक्षित क्षेत्र हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5 प्रतिशत हैं..

घनी आबादी वाले भारत में भूमि पर दबाव के बावजूद 6 सौ संरक्षित क्षेत्र हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5 प्रतिशत हैं। इनमें राष्‍ट्रीय उद्यान, वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य और संरक्षण भंडार का नेटवर्क शामिल है। उन्‍होंने कहा कि बाघों तथा हाथियों जैसे उच्‍च लुप्‍त प्राय प्रजातियों के लिए हमारे विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। 2010 में बाघों के राष्‍ट्रीय स्‍तर के आकलन में बढ़ोत्‍तरी दर्शाई गयी है और 2006 के 1411 की उनकी संख्‍या के स्‍थान पर अब अनुमानित संख्‍या 1706 हो गयी है। लुप्‍त प्राय 16 प्रजातियों को फिर से पाने की पहल आरंभ कर दी गयी है।

हम लोग लगातार जैव विविधता खो रहे हैं..

स्तनपाई, रेंगने वाले, पक्षी, जलथलचर और मछलियों की प्रजातियाँ 1970 से 2006 के बीच एक तिहाई कम हो गई हैं.वर्ष 2002 में जॉहनसबर्ग में हुई बैठक में जैव विविधता में होने वाली कमी की दर पर लगाम कसने के लिए 2010 का लक्ष्य रखा गया था.21 प्रतिशत स्तनधारी, 30 प्रतिशत जलथलचर, 12 प्रतिशत पक्षी और 27 प्रतिशत चट्टान बनाने वाले मूंगें लुप्त होने की कगार पर हैं.

. भारत में चावल की क़रीब 50 हज़ार भिन्न क़िस्में हैं..

भारत के जलक्षेत्र में 13 हज़ार लुप्तप्राय प्रजातियों की गणना की गई है. आठ हज़ार किलोमीटर तटरेखा के आसपास बंदरगाह और बिजली घर जैसी विकास परियोजनाओं के कारण कई मछलियों और प्रवाल भिति ख़तरे में हैं. भारत में चावल की क़रीब 50 हज़ार भिन्न क़िस्में हैं. इनमें से कई का दिल्ली स्थित नेशनल जीन बैंक के फ्रिजों में संरक्षित है.एनबीए के 2010 के अनुमान अनुसार भारत में 8850 करोड़ के जैव विविध निर्यात की संभावना है.

आईयूसीएन ने शेर जैसी पूंछ वाले बंदर को 25 लुप्तप्राय जानवरों की सूची से हटा दिया है..

देश का 4.8 प्रतिशत भौगोलिक हिस्से को सुरक्षित क्षेत्र में रखा गया है. 2011 में देश भर में 1706 वयस्क बाघ गिने गए थे जबकि 2006 में यह संख्या सिर्फ़ 1411 थी. भारत इस समय जैव विविधता पर दो अरब डॉलर ख़र्च कर रहा है. इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं. आईयूसीएन ने शेर जैसी पूंछ वाले बंदर को 25 लुप्तप्राय जानवरों की सूची से हटा दिया है क्योंकि इसकी संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है.

Wednesday, October 17, 2012

कन्वेंशन ऑन बायोडाइवर्सिटी

15-20 साल पहले गधों की संख्या बहुतायत थी लेकिन अब गधों की संख्या काफी घटी हैं. प्रत्येक पांच वर्ष पश्चात जैव विविधता विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होता हैं.उत्तर प्रदेश की जैव विविधता के संरक्षण हेतु प्रदेश के 16,966.22 वर्ग किमी वन क्षेत्र में से लगभग 5,170 वर्ग किमी क्षेत्र में 1 राष्ट्रीय उद्यान, 24 वन्य जीव विहार स्थापित किये गये हैं, जोकि प्रदेश के वन क्षेत्र की लगभग 33.6 प्रतिशत तथा कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत हैं।

Friday, September 21, 2012

जैव विविधता

जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन यानी सीबीडी पर सहमति 1992 में रियो पृथ्वी सम्मेलन के दौरान बनी थी.संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में चल रहे एक अध्ययन में कहा गया है कि जंगल कम होने की वजह से ही हर वर्ष विश्व अर्थव्यवस्था को 20 से 50 खरब डॉलर का नुक़सान होता है.

Monday, September 17, 2012

जैव विविधता का सरंक्षण

मूल रूप से संरक्षण क्रियाएं दो प्रकार की हो सकती हैं - ‘इन-सीटू’ एवं ‘एक्स-सीटू’ संरक्षण.इन-सीटू से तात्पर्य है, ”इसके वास्तविक स्थान पर या इसके उत्पत्ति के स्थान तक सीमित।“.एक्स-सीटू संरक्षण की कोशिश का उदाहरण एक जर्मप्लाज्म बैंक या बीज बैंक की स्थापना करना है।