स्तनपाई, रेंगने वाले, पक्षी, जलथलचर और मछलियों की प्रजातियाँ 1970 से 2006 के बीच एक तिहाई कम हो गई हैं.वर्ष 2002 में जॉहनसबर्ग में हुई बैठक में जैव विविधता में होने वाली कमी की दर पर लगाम कसने के लिए 2010 का लक्ष्य रखा गया था.21 प्रतिशत स्तनधारी, 30 प्रतिशत जलथलचर, 12 प्रतिशत पक्षी और 27 प्रतिशत चट्टान बनाने वाले मूंगें लुप्त होने की कगार पर हैं.
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