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Saturday, September 22, 2012

यात्रियों का राजकुमार

ह्वेन त्सांग कन्नौज की धर्मसभा का अध्यक्ष था, तथा उसने प्रयाग के छठें 'महोमोक्षपरिषद' में भाग लिया था। उसने 6 वर्षो तक नालन्दा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। 'हूली' ह्वेन त्सांग का मित्र था जिसने ह्वेन त्सांग की जीवनी लिखी। उसे 'यात्रियों का राजकुमार' कहा जाता हैं।

ह्नेनसांग ने पाटलिपुत्र के पतन एवं कन्नौज के उत्थान पर प्रकाश डाला है।

ह्नेनसांग ने पाटलिपुत्र के पतन एवं कन्नौज के उत्थान पर प्रकाश डाला है। उसके अनुसार कन्नौज में लगभग 100 संघाराम एवं 200 हिन्दू मन्दिर थे। ह्नेनसांग ने उस समय रेशम एवं सूत से निर्मित 'कौशेय' नामक वस्त्र का भी वर्णन किया है। उसने क्षौम, लिनन, कम्बल जैसे वस्त्र का भी वर्णन किया है. ह्नेनसांग के अनुसार इस समय अन्तर्जातीय विवाह, विधवा विवाह एवं पर्दे की प्रथा का प्रचलन नहीं था जबकि सती प्रथा का प्रचलन था।

ह्वेन त्सांग ब्राह्मण जाति का ‘सर्वाधिक पवित्र एवं सम्मानित जाति‘ के रूप में उल्लेख करता है।

ह्वेन त्सांग ब्राह्मण जाति का ‘सर्वाधिक पवित्र एवं सम्मानित जाति‘ के रूप में उल्लेख करता है। क्षत्रियों की प्रशंसा करता हुआ उसे ‘राजा की जाति‘ बताता है और वैश्यों का वह व्यापारी के रूप में उल्लेख करता है। ह्वेन त्सांग के अनुसार उस समय मछुआरों, कलाई, जल्लाद, भंगी जैसी जातियां नगर सीमा के बाहर निवास करती थीं।

चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपनी यात्रा 29 वर्ष की अवस्था में 629 ई. में प्रारम्भ की

चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपनी यात्रा 29 वर्ष की अवस्था में 629 ई. में प्रारम्भ की थी। यात्रा के दौरान ताशकन्द, समरकन्द होता हुआ ह्वेन त्सांग 630 ई. में गांधार प्रदेश पहुँचा। गांधार पहुंचने के बाद ह्नेनसांग ने कश्मीर, पंजाब, कपिलवस्तु, बनारस, गया एवं कुशीनगर की यात्रा की।