ह्वेन त्सांग ब्राह्मण जाति का ‘सर्वाधिक पवित्र एवं सम्मानित जाति‘ के रूप में उल्लेख करता है। क्षत्रियों की प्रशंसा करता हुआ उसे ‘राजा की जाति‘ बताता है और वैश्यों का वह व्यापारी के रूप में उल्लेख करता है। ह्वेन त्सांग के अनुसार उस समय मछुआरों, कलाई, जल्लाद, भंगी जैसी जातियां नगर सीमा के बाहर निवास करती थीं।
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