ईश्वर चंद्र विद्यासागर के अनवरत प्रचार का ही नतीजा था कि विधवा पुनर्विवाह कानून, 1856 आखिरकार पारित हो सका।विद्यासागर का मानना था कि अंग्रेजी और संस्कृत भाषा के ज्ञान का समन्वय करके ही भारतीय और पाश्चात्य परंपराओं के श्रेष्ठ को हासिल किया जा सकता है। लड़कियों की शिक्षा के लिए स्कूलों की एक श्रृंखला के साथ ही कलकत्ता में मेट्रोपॉलिटन कॉलेज की स्थापना भी की।
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