Wednesday, January 23, 2013
गलत ब्योरा दिया जाना जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत उम्मीदवार को अयोग्य करार दिये जाने का आधार बनना चाहिए।
जन प्रतिनिधित्व कानून में सुधार की आवश्यकता बताते हुए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस वर्मा ने सुझाव दिया कि चुनावी उम्मीदवारों द्वारा उनकी संपत्ति के बारे में दिये गये ब्योरे की जांच कैग से करायी जा सकती है।वर्मा ने महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों को लेकर कानूनों में संशोधन के उपाय सुझाने वाली रपट सरकार को सौंपने के बाद यहां संवाददाताओं से कहा कि यदि उम्मीदवार द्वारा सौंपा गया ब्योरा गलत पाया जाए तो उस स्थिति में उसे अयोग्य करार दिया जाए।
वर्मा की रपट में कहा गया कि गलत ब्योरा दिया जाना जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत उम्मीदवार को अयोग्य करार दिये जाने का आधार बनना चाहिए।
राजनीति के अपराधीकरण और अपराध के राजनीतिकरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन होना चाहिए, ताकि आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखा जा सके और जनता का सच्चा प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
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जे एस वर्मा
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