2005 में जूवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन किया गया था। अगर कोई शख्स 18 साल से कम है तो उसे बच्चा ही कहा जाएगा। ऐसे मामलों में अपराधी की पहचान गुप्त रखी जाती है और मामला जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड को भेजा जाता है। इसके पीछे मकसद यह है कि नाबालिग को सुधारा जाए। उसे सुधार गृह में भेजा जाता है। सजा देने के बदले जूवेनाइल को सुधारने का प्रावधान है।
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