रेगुलेटर की तरफ से बनाई गई प्राइस लिमिट होती है। इससे यह तय होता है कि एनएसई या बीएसई के निफ्टी और सेंसेक्स जैसे इंडेक्स एक दिन में कितना ऊपर-नीचे जा सकते हैं। अगर 10 फीसदी की सर्किट लिमिट 1 बजे दोपहर से पहले ब्रेक होती है तो ट्रेडिंग अपने आप रुक जाएगी और वह एक घंटे बाद फिर शुरू होगी। इंडेक्स 20 के फीसदी गिरने पर ट्रेडिंग बाकी दिन के लिए भी रोक दी जाती है।
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