इस पद्धति में उच्च तापमान पर कचरे को औक्सीजन की प्राचुर्य मात्रा में सीधे रूप से जलाया जाता है। इससे जैविक पदार्थ के ऊष्म तत्व 65-80 प्रतिशत तक गरम हवा, भाप तथा गरम पानी में तब्दील होते हैं। भाप का इस्तेमाल स्टीम टर्बाइन में बिजली पैदा करने के लिए हो सकता है।
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