Friday, October 19, 2012
हरित अर्थव्यवस्था के संबंध में भारत का नजरिया
हरित अर्थव्यवस्था के संबंध में भारत का नजरिया अनिवार्यत: गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा, आधुनिक ऊर्जा सेवाओं तक रोजगार सृजन जैसी तात्कालिक प्राथमिकताओं से संबंधित है। भारत का मानना है कि 'हरित अर्थव्यवस्था' एक गतिशील विचारधारा है, जिसका उद्देश्य निरंतरता के साथ गरीबी उन्मूलन की दिशा में कार्यकलापों को बढ़ावा देना अत: आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय विकास के क्रम में अर्थव्यवस्था को हरित स्वरूप प्रदान करना है। भारत का मानना है कि 'हरित अर्थव्यवस्था' पर किसी भी प्रकार की समझ से पूर्व समान परंतु साझे और भिन्न दायित्वों (सीबीडीआर) के सिद्धांत पर निश्चित रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। हरित मॉडल को ऑपचारिक रूप देने की जल्दबाजी में विकास के एक ऐसे नए अंतर्राष्ट्रीय मानदण्ड की रूपरेखा बन सकती है, जिससे शायद अन्य प्रकार के विकास मॉडल अवैध हो जाएं। इसमें विकास का वह मॉडल भी शामिल हो सकता है, जिसका अनुपालन भारत जैसे अनेक देश अपने सामाजिक-आर्थिक विकास एवं गरीबी उपशमन के लिए करते रहे हैं।
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हरित अर्थव्यवस्था
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