‘मैं खुली हवा का वैसा ही पक्षधर हूं, जैसा कि महाकवि हैं। मैं अपने घर को चारों तरफ से दीवारों से घिरा और अपनी खिड़कियों को बंद रखना नहीं चाहता। मैं चाहता हूं कि सभी देशों की संस्कृतियों की हवा मेरे घर में आजादी से आ-जा सके, लेकिन मैं यह नहीं चाहूंगा कि मुङो कोई उड़ा ले जाए।’....गांधीजी.
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