सतवाहन राजवंश के शासन काल में ये गुफाएं खोदी गई होंगी.5वीं ईस्वी में वकाटका शासन के काफी समय बाद ये दिखाई दी होंगी. हीनयान बौध धर्म के समय इनके पू्जा स्थलों पर बौध और बौधिसत्व की कोई मूर्ति नहीं थी और ना ही पीतलखोड़ा के गुफा नंबर 3 में चित्रकारी के अलावा और कुछ भी नहीं दिखाई देता था.
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