उत्तरी भारत के कृष्ण और राम के अनुयायियों द्वारा स्थानीय बोलियों में रचित साहित्य भारतीय साहित्य की अति प्रसिद्ध कृतियां है। इसमें बारहवीं शताब्दी के दौरान रचित जयदेव की कविताएं जो 'गीत गोविन्द' के नाम से प्रसिद्ध है. वे बंगाल के सेनवंश के अन्तिम नरेश लक्ष्मणसेन के आश्रित महाकवि थे। गीतगोविन्द’ काव्य में बारह सर्ग हैं, जिनका चौबीस प्रबन्धों में विभाजन हुआ है।
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