समुद्र मंथन में प्रकट हुए 14 रत्नों में देवी लक्ष्मी का प्राकट्य कार्तिक अमावस को हुआ था। इसीलिए इसी दिन उनकी पूजा की जाती है। यह त्योहार दीपावली के रूप में मनाया जाता है।महालक्ष्मी का प्राकट्य देवताओं और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन से हुआ था इसलिए उन्हें सिंधुसुता भी कहा जाता है। प्राकट्य के बाद उन्होंने भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में वरण किया।
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