मुद्रास्फीति और वित्तीय घाटा बढ़ा हुआ है। पिछले साल की तरह इस साल भी विकास दर पिछले 7 सालों की औसत विकास दर से नीचे है। अगर किसी देश की विकास दर कमजोर होती है तो इसका असर सबसे पहले सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर पड़ता है।वित्तीय सुधारों से निवेश के लिए माहौल तैयार होगा। अगर टैक्स सिस्टम संतुलित और स्थिर होगा तो कारोबारी भारत में बड़ा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
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