जिज्ञासा
हमारा सारा ज्ञान एवं सारी योग्यताएं जिज्ञासा के बिना व्यर्थ हैं--रबींद्रनाथ टैगोर
Monday, November 12, 2012
प्रेम विस्तार का नाम है..
प्रेम विस्तार का नाम है, स्वार्थ संकुचन का। जो प्रेम करता है वो जीता है, जो स्वार्थ में जी रहा है, वो मर रहा है...स्वामी विवेकानंद.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment