1991 के बाद शुरू किए गए आर्थिक उपायों का मकसद सिर्फ एक था- भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाकर देश के सिस्टम को ज्यादा उत्पादक बनाना। इस मकसद को हासिल करने के लिए यह जरूरी समझा गया कि विदेशी कारोबारियों को भारतीय बाजार में दाखिल होने का मौका दिया जाए और इसके लिए कारोबार से जुड़ी अड़चनों को खत्म किया जाए।
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