हमारा सारा ज्ञान एवं सारी योग्यताएं जिज्ञासा के बिना व्यर्थ हैं--रबींद्रनाथ टैगोर
Saturday, November 10, 2012
शवासन
शवासन में अपने शरीर को ढीला छोड़कर लेट जाते हैं और साक्षी भाव से शरीर, इंद्रियों, सांस, मन को देखते हैं कि शरीर शव की तरह बेजान पड़ा है. शवासन खुद को इस संसार से अलग करने की क्रिया है, जो हमें सिखाता है कि मेरे बिना भी सब काम हो सकता है।
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