Saturday, November 10, 2012

शवासन

शवासन में अपने शरीर को ढीला छोड़कर लेट जाते हैं और साक्षी भाव से शरीर, इंद्रियों, सांस, मन को देखते हैं कि शरीर शव की तरह बेजान पड़ा है. शवासन खुद को इस संसार से अलग करने की क्रिया है, जो हमें सिखाता है कि मेरे बिना भी सब काम हो सकता है।

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