हमारा सारा ज्ञान एवं सारी योग्यताएं जिज्ञासा के बिना व्यर्थ हैं--रबींद्रनाथ टैगोर
Friday, September 14, 2012
न्यूनांगपूरक
अनाज के भोज्य पदार्थ बन जाने पर दाल, शाक, घृत आदि वस्तुएँ अलग से लाकर मिलाई जाती हैं। उसके हीन अंगों की पूर्ति की जाती हैं, जिससे वह अनाज रुचिकर और पौष्टिक बन सके। इस संस्कार को न्यूनांगपूरक संस्कार कहते हैं।
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