2002 में, सरकार ने विदेशी दवा कंपनियों को भारत में 100 फीसदी उपक्रम हासिल करने की स्वीकृति दी। सरकार, अपनी उदारवादी नीति से दूर हटते हुए, अब विदेशों में हुए लेन-देन संबंधी सौदों की बारीकी से जांच कर रही है और वो कंपनियां जिन्होंने भारतीय संपदा खरीदी है, उन कंपनियों पर विभिन्न शर्तों को पूरा करने का दबाव डालने पर विचार कर रही है.
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