राजतरंगिणी की रचना कल्हण ने की. संस्कृत में ऐतिहासिक घटनाओं के क्रमबद्ध इतिहास लिखने का प्रथम प्रयास है. राजतरगिणी में कुल आठ तरंग एवं 8000 श्लोक हैं.चौथे से लेकर छठवें तरंग में कार्कोट एवं उत्पल वंश के इतिहास का वर्णन है.अन्तिम सातवें एवं आठवें तरंग में लोहार वंश का इतिहास उल्लिखित है.
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