Wednesday, August 15, 2012

‘पाखण्ड खण्डिनी पताका’

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती,गृह त्याग के बाद मथुरा में स्वामी विरजानंद के शिष्य बने. शिक्षा प्राप्त कर गुरु की आज्ञा से धर्म सुधार हेतु ‘पाखण्ड खण्डिनी पताका’ फहराई.

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