भारत ने वर्ष 2000 में सूचना प्रोद्यौगिकी कानून पारित किया था. तब सोशल नेटवर्किंग साइटों का चलन नहीं था. 2008 में इस कानून में कुछ संशोधन हुए हैं. धारा 66 ए के तहत साइबर बुलिंग के केवल कुछ मामलें कवर होते हैं. अगर आप अपने मोबाइल या कम्प्यूटर के जरिए कोई आपत्तिजनक संदेश या सामग्री भेजेत या प्रकाशित करते हैं जो मानसिक आघात पहुँचाता है तो ये दंडनीय अपराध है.
साइबर बुलिंग के लिए केवल तीन साल की सजा हो सकती है और पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान हैं.
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