राष्ट्रीय जलनीति -2012 में बड़े-बड़े बांधों की पुरजोर वकालत की गई है। नए संशोधित मसौदे में अप्रत्यक्ष रूप से निजीकरण की बात कही गई है। नए संशोधित मसौदे के पैरा 12.3 के मुताबिक जल संसाधनों और जल परियोजनाओं एवं सेवाओं का प्रबंधन सामुदायिक सहभागिता से किया जाना चाहिए। नए संशोधित मसौदे ने पेयजल को मानवाधिकार के रूप में मंजूरी नहीं दी है.
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