Friday, September 14, 2012

मन, वचन, कर्म और शरीर को पवित्र करना ही संस्कार है..

संस्कार संस्कृत भाषा का शब्द है. मन, वचन, कर्म और शरीर को पवित्र करना ही संस्कार है। व्यक्तित्व निर्माण में हिन्दू संस्कारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 'संस्कार' मनुष्य को पाप और अज्ञान से दूर रखकर आचार-विचार और ज्ञान-विज्ञान से संयुक्त करते हैं।

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