हिंदू विवाह अधिनियम में विवाह अब भी एक पवित्र संस्कार है, जिसमें पति-पत्नी का मिलन दो आत्माओं का मिलन है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5(1) के मुताबिक हिंदू केवल एक शादी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. एम. पांचाल और जस्टिस एच. एल. गोखले की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यदि कोई शादीशुदा आदमी खुद को कुंवारा बताकर दूसरी शादी करता है तो वह दोषी है और उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 495 के तहत कड़ी सजा दी जानी चाहिए.
No comments:
Post a Comment