इसकी लकड़ी से पेंसिल बनती है.रेल की पटरियाँ, फर्नीचर, मकान के दरवाजे और खिड़कियाँ, अलमारियाँ इत्यादि भी बनती हैं.देवदार की लकड़ी का उपयोग आयुर्वेदीय ओषधियों में भी होता है।पश्चिमी हिमालय, उत्तरी बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, उत्तर भारत के कश्मीर से गढ़वाल तक के वनों में 1,700 से लेकर 3,500 फुट तक की ऊँचाई पर यह वृक्ष मिलते हैं।
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